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कविता- नई प्रेमिका का बयान: सोनम मौर्या


नई प्रेमिका का बयान 
भले ही तुम मुझे स्वार्थी कहो
लेकिन मैं यह नहीं कह सकती
कि तुम कहो,
तो मैं ये जमाना छोड़ दूँ
क्योंकि मुझे बनाना है,
इस दरिंदगी की हद पार कर जाने वाले
जमाने को बेहतर
जहाँ फिर कभी किसी प्रेमिका की
देह शूली से झूलती हुई न मिले
और न उसका अधजला शव ही
जहाँ फिर कभी किसी नव-व्याहता को
दहेज के चलते प्रताड़ना और शोषण
झेलते हुए आत्महत्या न करनी पड़े,
जहाँ फिर कभी किसी स्त्री का
किसी गली, कूचे, सड़क, घर,
बाहर में बलात्कार न हो,
और न ही लोग उसे अपनी नजरों से घूरकर नंगा करें
क्योंकि अब मैं
और गहरे जाकर रू-ब-रू हो गई हूँ
इस नंगे खौफनाक मंजर से
और तहखानों में पड़ी
सड़ रही उन तमाम हजारों, लाखों लाशों से
जिनकी शिनाख्त कर
बस उन वहसी हत्यारों को बेनकाब करना है...।
मैं ये मानती हूँ
कि तुमने मुझसे बहुत प्रेम किया है
लेकिन इतना भी नहीं
जितना कि मैंने दर्द और गुलामी झेली है
जिसे मैं कभी भूल नहीं सकती...।
                                                                     
-सोनम मौर्या,
जे.एन.यू. नई दिल्ली











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