कहानी: लंगड़ातंत्र और अंधा कानून
लंगड़े और अंधे की कहानी आपने सुनी होगी. जब गांव
में आग लगी तब अंधे ने लंगड़े को अपने कंधे पर को बिठा लिया और गांव से बाहर निकल गये.
इस तरह दोनों ने अपनी जान बचायी. यहां प्रस्तूत है उसी कहानी का दूसरा एपिसोड.
इस एपिसोड में वे दोनों एक दूसरे से मुक्त होना चाहते हैं. एक दूसरे की मदद लेते-लेते आजिज हो गए हैं. कई साल से समाधान ढूंढ रहे थे कि एक दिन अखबार में उन्हें पढ़ने को मिला- एकता कपूर की सफलता का राज-के अक्षर.
शायद समाधान मिल गया. दोनों गदगद हो गये. दोनों उसी समय उस लैपटॉप वाले बाबा के पास चल दिए. सवेरे ही पहुंच गये. डोर वेल बजाने लगे. ऊंघे हुए बाबा ने दरवाजा खोला. बाबा को नमस्कार कर दोनों हाथ जोड़ने लगे पैर पकड़ने लगे. बाबा कोई समाधान बताइए. हम अपने जीवन से ऊब गए हैं.
इस एपिसोड में वे दोनों एक दूसरे से मुक्त होना चाहते हैं. एक दूसरे की मदद लेते-लेते आजिज हो गए हैं. कई साल से समाधान ढूंढ रहे थे कि एक दिन अखबार में उन्हें पढ़ने को मिला- एकता कपूर की सफलता का राज-के अक्षर.
शायद समाधान मिल गया. दोनों गदगद हो गये. दोनों उसी समय उस लैपटॉप वाले बाबा के पास चल दिए. सवेरे ही पहुंच गये. डोर वेल बजाने लगे. ऊंघे हुए बाबा ने दरवाजा खोला. बाबा को नमस्कार कर दोनों हाथ जोड़ने लगे पैर पकड़ने लगे. बाबा कोई समाधान बताइए. हम अपने जीवन से ऊब गए हैं.
भगवान कृष्ण के जाने के बाद ये दोनों भारतवर्ष
में रात दिन खूब रास लीलाएं कर रहे हैं. नया नामकरण संस्कार के समय ही बाबा ने उन्हें
उपहारस्वरुप दो वरदान भी दिए थे. एक-डंडावाला जो उनकी पहरेदारी करता है और दूसरा- कलमवाला, जो उनकी रात दिन रास लीलाएं लिखता पढ़ता रहता है.
-अमलेश प्रसाद
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