बिजली की तरह नाचती थीं श्रीदेवी : श्रद्धांजली
मन को बहलाने और दिल को सहलाने के लिए मैंने अपने
मनपसंद गीतों का एक कॉलेक्शन तैयार किया है। उनमें सबसे ज्यादा श्रीदेवी पर फिल्माए
गीत शामिल हैं। इसका मुख्य कारण श्रीदेवी का भावविभोर होकर मोर-मोरनी की तरह नाचना
है। गीत के छंद और लय के साथ श्रीदेवी अपने गदराए बदन से जब तालमेल करती हैं तब
ऐसे-ऐसे खूबसूरत दृश्य उभरते हैं जैसे प्रकृति स्वयं श्रृंगार कर श्रीदेवी के
लचकते-मटकते शरीर में प्रवेश कर गई हो। मैं श्रीदेवी के गीत सिर्फ उनके करीने से
तराशे-खरासे नाच को देखने के लिए देखता हूं। एक बार नहीं, बार-बार देखता हूं।
कई-कई बार देखता हूं।
जब नाचती थी, तब राग में रस व रंग मिलकर बरसते थे
जब नाचती थी, तब राग में रस व रंग मिलकर बरसते थे
आप किसी लड़की की खूबसूरती के बारे में जितनी कल्पनाएं
कर सकते हैं, श्रीदेवी उन सारी कल्पनाओं के जादू को एक दृश्य में दिखा देती थीं।
इठलाना-इतराना, मटकना-झटकना, हंसना-मुस्कुराना, नाज-नखरे इन सारी अदाओं को वे अपने
अंग-अंग में पिरोकर ऐसे करती थीं कि लगता ही नहीं था कि वे एक्टिंग कर रही हैं। उनकी
अन्य अदाओं-भाव-भंगिमाओं को छोड़कर केवल नृत्य की बात करें तो जब श्रीदेवी नाचती
थी तब प्रकृति भी साथ-साथ नाचने लगती थी। ऐसा दृश्य आप श्रीदेवी के किसी भी गीत
में देख सकते हैं। चाहे वह भूली बिसरी एक कहानी, आजकल याद कुछ और रहता नहीं, बलमा
हो तुम, तूने बेचैन इतना ज्यादा किया, मैं तेरी दुश्मन- फिल्म नगीना। करते हैं हम
प्यार मिस्टर इंडिया से, न मांगे सोना चंडी, ज़िन्दगी की यही रीत हैं, हवा हवाई, काटे
नहीं कटते- फिल्म मिस्टर इंडिया। नैनों में सपना- फिल्म हिम्मतवाला। हर किसी को
नहीं मिलता- फिल्म जांबाज। मेघा रे मेघा, मोरनी बागां में, कभी मैं कहूं - फिल्म
लम्हे। लगी आज सावन की... तेरे मेरे होंठों पर...मेरे हाथों में नव-नव- फिल्म
चांदनी। नवराई माझी- फिल्म इंग्लिश विंग्लिश। अपने गदराए बदन की मदकता और चंचलता से
वे हर गीत में नृत्य को जादू की तरह पिरो देती थीं।
Sridevi |
कला थी जादू उनके लिए
प्रेमिका का रोल हो या पत्नी की फरमाइश, कॉलेज
गर्ल की अदा हो या घरेलू महिला का सीधापन, चंचल शोख हसीना के नखरे हों या चांदनी
जैसी शरीफ लड़की का प्यार, सौतन की डाह हो या प्रेमी के प्यार को पाने के लिए
कुछ भी कर गुजरने वाली नागिन। वे हर रोल में चरम पर जाकर परचम लहरा देतीं और दर्शक
सीनेमा हॉल में गदगद होकर तालियों की गड़गड़राहट के बीच वाह-वाह करते और उनकी
मीठी-मीठी यादों को फूल की खुश्बूओं की तरह महकते रहते। यह मीठी महक इतना लजीज होता
कि श्रीदेवी युवाओं के बीच बातचीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करती थीं।
सबकी जुबां रहता था एक ही नाम
किसी भी लड़की पर ताना मारने के लिए लड़के केवल
श्रीदेवी का ही नाम लेते थे। जब हम स्कूल में पढ़ रहे थे, तब हर लड़के की जुबान
पर श्रीदेवी ही चिपकी रहती। कोई भी किसी लड़की को देखकर उसकी तुलना श्रीदेवी से ही
करता। कहता- श्रीदेवी आ रही है, श्रीदेवी जा रही है...उसके ओंठ श्रीदेवी जैसे
हैं...उसके गाल श्रीदेवी जैसे हैं...उसके बाल श्रीदेवी जैसे हैं...श्रीदेवी की
अदाओं का जादू युवाओं पर इस कदर हावी था कि वे अपनी मंगेतर या महबूबा की तलाश
श्रीदेवी की तस्वीर की आभा में ही करते रहते। उस समय शायद ही कोई स्कूल-कॉलेज का
लड़का होगा जिसके स्टडी रूम में श्रीदेवी की तस्वीर टंगी न हो।
श्रद्धांजली
श्रीदेवी लोगों के जेहन में इस कदर घुल-मिल गई
थीं कि अब उनका इस दुनिया से जाना लोगों को किसी अपने के खोने जैसा दर्द महसूस हो
रहा है। कला को जादू की तरह दिखाने वाले कम ही कलाकार पैदा होते हैं। श्रीदेवी
अपनी इन्हीं जादुई अदाओं के लिए लोगों के दिलों पर हमेशा राज करती रहेंगी।
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