भारत के बारे में दुनिया के लोग क्या सोचते हैं? : स्वामी विवेकानंद । What do the people of the world think about India? : Swami Vivekananda
एक पंडित से
समुद्र यात्रा के विषय को मेरा वाद विवाद हुआ था। उसके चेहरे की विकट बनावट उसकी
कदापि न (हरगिज़ नहीं) यह बात मुझे सदैव याद रहेगी। इनकी अज्ञता की गहराई देखकर
चकित रह जाना पड़ता है। वे जानते ही नहीं कि भारतवर्ष दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा
है और सारा जगत इन 30 करोड़ लोगों को बड़ी घृणा से देखता है। वह देखता
है कि ये लोग मानो कीड़ों की तरह भारत के रमणीक
क्षेत्र पर रेंग रहे हैं और एक दूसरे पर अत्याचार करने की कोशिश कर रहे हैं। समाज की
यह दशा दूर करनी होगी- परंतु धर्म का नाश करके नहीं, वरन हिंदू धर्म के महान
उपदेशों को अपना कर और उसके साथ बौद्ध धर्म की अपूर्व सहृदयता को जोड़कर, जो हिंदू
धर्म का स्वभाविक विकास मात्र है।...
-स्वामी विवेकानंद, मेरी जीवनकथा, पृष्ठ
संख्या 92
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