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Map : China & Japan |
चीनियों में और जापानियों में कितना अंतर है! सफाई में जापानी लोग
दुनिया में किसी से कम नहीं हैं. सभी वस्तुएं साफ-सुथरी हैं. सड़कें प्रायः सब चौड़ी,
सीधी, सम और पक्की हैं. उनके मकान पिंजड़ों की भांति छोटे हैं और प्रायः हर कस्बे
और गांव की बस्तियों के पीछे सदाबहार चीड़ वृक्षों से परिपूर्ण हरी-भरी पहाड़ियां
हैं... जापान सौन्दर्य-भूमि है! प्रायः हर घर के पिछवारे जापान ढंग का सुंदर बगीचा
रहता है. इन बगीचों के छोटे-छोटे लता वृक्ष, हरे-भरे घास के मैदान, छोटे-छोटे जलाशय
से और नालियों पर बने हुए छोटे-छोटे पत्थर के पुल बड़े सुहावने लगते हैं.
मेरी जीवनकथा, स्वामी विवेकानंद, पृष्ठ संख्या 89
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जिस छोटे-से भूखंड पर हम उतरे, वह
चीन सरकार द्वारा विदेशियों के रहने हेतु दी गई है. हमारे चारों ओर, नदी के दोनों तटों पर मीलों तक यह
बड़ा नगर बसा हुआ है -विशाल जनसमूह, जिसमें निरंतर कोलाहल, धक्कामुक्की, चहल-पहल और
परस्पर स्पर्धा का ही बोलबाला दिख पड़ता है. पर इतनी आबादी, इतनी क्रियाशीलता के बावजूद
ऐसा गंदा शहर मैंने अब तक नहीं देखा. भारत में जिसे गंदगी कहते हैं, उस दृष्टि से
नहीं, क्योंकि चीनी लोग कूड़े का एक तिनका भी बर्बाद नहीं होने देते- वरन इस दृष्टि
से कि इन्होंने मानो कभी न नहाने की कसम खा ली हो...
-स्वामी विवेकानंद, मेरी जीवनकथा, पृष्ठ संख्या 89
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