'आंबेडकर इन इंडिया' के संपादक दयानाथ निगम नहीं रहे
दिल्ली। जब 'आंबेडकर इन इंडिया' के संपादक दयानाथ निगम की तबीयत खराब हुई तो परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराने के लिए प्रयास किया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि पहले कोरोना टेस्ट कराइए, फिर भर्ती लेंगे। पूरी रात परिजन भर्ती के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन किसी अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाए। हरिशचंद्र के अथक प्रयासों से आज उनका रैपिड़ टेस्ट हुआ, जिसमें कोरोना पाजटिव पाए गए। उसके बाद भी उन्हें किसी अस्पताल में जगह नहीं मिली.
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तीन युवा आंबेडकरवादियों के साथ सफेद झक धोती कुर्ते में 'आंबेडकर इन इंडिया' के संपादक दयानाथ निगम |
रात से ही उनका ऑक्सीजन लेबल गिरता जा रहा था, आखिरकार कुछ घंटों पहले असमय वे हम लोगों को छोड़ कर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए। दयानाथ निगम पिछले 20 साल से अधिक समय से निरंतर 'आंबेडकर इन इंडिया' निकाल रहे थे, दयानाथ निगम एक प्रतिबद्ध आंबेडकरवादी मिशनरी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन दलित-बहुजनों के लिए समर्पित कर दिया था। जब भी पत्रिका का नया अंक आता तो पत्रिका भेजने से पहले जरूर फोन करते और हाल-चाल पूछते। इस तरह आपका असमय जाना बहुत दुखदायी है।
प्रसिद्ध आंबेडकरवादी शांतिस्वरूप बौद्ध के बाद दयानाथ निगम का जाना आंबेडकर आंदोलन और बहुजन मिशन के लिए अपूरणीय क्षति है।
बहुजनों में सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति आंदोलन के लिए वैचारिक, सामाजिक क्रान्ति चेतना, विकास एवं समता के लिए समर्पित लखनऊ से सतत 21 साल से प्रकाशित बहुजन समाज की मासिक पत्रिका "आंबेडकर इन इण्डिया" के प्रधान सम्पादक दयानाथ निगम की तबियत बिगत 29 अगस्त से खराब चल रही थी और एक सितम्बर से लखनऊ स्थित केजीएमयू में भर्ती थे। कल अपराह्न 4:00 बजे अपनी पत्नी पार्वती देवी उम्र लगभग 58 वर्ष, पुत्र डॉ क्रांति कुमार निगम उम्र लगभग 40, विकास कुमार निगम उम्र लगभग 34 वर्ष, पुत्री चेतना उम्र लगभग 37 वर्ष, समता उम्र लगभग 30 वर्ष को छोड़कर निर्वाण (मृत्यु) को प्राप्त हुये।
-आशीष कुमार दीपांकर
बहुत ही उम्दा पत्रिका है जिसका विषय सामाजिक परिवर्तन से रहा है
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