जमींदारों का त्योहार था दशहरा : डॉ राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम राष्ट्रपति, आत्मकथा, पृष्ठ संख्या 14
दशहरा तो खास करके जमींदारों का त्यौहार माना जाता था। पर नवरात्र में
कभी-कभी काली जी की पूजा हुआ करती थी। उसके लिए मूर्ति लाई जाती और बड़े धूमधाम से
पूजा होती। मैंने अपने गांव में तो काली पूजा नहीं देखी, पर जवार में काली पूजा
हुई, इसकी शोहरत सुनने पर हम बच्चे वहां दर्शन के लिए भेजे गये थे। वहाँ जाकर हमने
काली का, जो सचमुच काली थी और हाथ में लाल खप्पर और खड़ग लिये हुई थी, दर्शन किया था।
रामलीला में राजगद्दी भी प्रायः दशहरे के दिन या एक-दो दिन उसके आगे-पीछे हुआ करती
थी। खास दशहरे के दिन हमारे दादा साहब अपने साथ सब लोगों को लेकर एक छोटा-सा जुलूस
बना कर निकलते और नीलकंठ का दर्शन करते।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम राष्ट्रपति, आत्मकथा, पृष्ठ संख्या 14
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